युद्ध वाली देवी-tanot mata temple history in hindi

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Tanot mata temple in hindi: तनोट माता मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है। जैसलमेर शहर से तनोट माता मंदिर लगभग 120 किलोमीटर दूर भारत पाकिस्तान की सरहद के पास तनोट गांव में स्थित है। तनोट माता का मंदिर पूरे देश भर में प्रसिद्ध है। जब सन 1965 और 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान तनोट गांव पर भयंकर गोलाबारी हुई जिसमें पाकिस्तानी सेना ने तनोट माता मंदिर के आसपास लगभग 3 हजार बम बरसाए थे। उस समय 450 से भी अधिक बम मंदिर परिसर में आकर गिरे थे। मंदिर परिसर में गिरा एक भी बम नहीं फटा था। उस समय यह चमत्कार देखकर भारतीय सेना को विश्वास हो गया कि देवी हमारे साथ में है। 1965 के युद्ध के बाद इस मंदिर की देखरेख भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों द्वारा की जाती है। और समय-समय पर मंदिर में निर्माण कार्य होता रहा है। आज यह तनोट माता का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन गया है यहां पर साल भर श्रद्धालु आते रहते हैं। तनोट माता को युद्ध वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों आप भी तनोट माता जी के दर्शन करना चाहते हैं तो पढ़िए इस पूरे पोस्ट को।

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तनोट माता मंदिर जैसलमेर का इतिहास-Tanot Mata Temple Jaisalmer History in Hindi

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History of tanot mata temple hindi: पौराणिक कथाओं और मंदिर के प्रवेश द्वार के पास लगे एक शिलालेख के अनुसार माता श्री हिंगलाज के वचनानुसार माड़ प्रदेश (जैसलमेर राज्य) में चेलक निवासी मामडियाजी की प्रथम संतान के रूप में विक्रम संवत 808 चेत्र सुदी नवमी मंगलवार को भगवती श्री आवड़ देवी (माता तनोट राय) का जन्म हुआ। इनके बाद जन्मी भगवती के 6 बहनों के नाम आशी, सेसी, गेहली, होल, रूप व लांग था। अपने अवतरण के पश्चात भगवती आवड़ जी ने बहुत सारे चमत्कार दिखाएं तथा नागणेची, काले डूंगरराय, भोजासरी, देगराय, तेमड़ेराय व तनोटराय नाम से प्रसिद्ध हुई। तनोट के अंतिम राजा भाटी तनुराव जी ने विक्रम संवत 847 में तनोट गढ़ की नींव रखी तथा विक्रम संवत 888 में तनोट दुर्ग एवं मंदिर की प्रतिष्ठा करवाई थी। 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय पाकिस्तान ने मंदिर तथा आसपास लगभग 3 हजार बम बरसाए थे। 450 गोले मंदिर परिसर में गिरे किंतु मंदिर को खरोंच भी नहीं आई। इसी प्रकार 1971 में भारत-पाक युद्ध में तनोट माता की कृपा से शत्रु के सैकड़ों टैंक व गाड़ियां भारतीय फौजियों ने नष्ट कर दिये और शत्रु दुम दबाकर भागने को विवश हो गये। अत: माता श्री तनोट राय भारतीय सैनिकों व सीमा सुरक्षा बल के जवानों की श्रद्धा का विशेष केंद्र है। वर्ष 1965 में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने यहां चौकी स्थापित कर इस मंदिर की पूजा अर्चना व व्यवस्था का कार्यभार संभाला तथा वर्तमान में मंदिर का प्रबंध संचालन एक बीएसएफ (BSF) ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है।

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तनोट माता मंदिर में दर्शन-Visit Tanot Mata Temple Jaisalmer in hindi

Tanot mata temple jaisalmer: जब हम तनोट माता मंदिर के विशाल प्रवेश द्वार से अंदर की ओर जाते हैं तो सामने ही हमें विजय स्तंभ दिखेगा यह विजय स्तंभ भारतीय सेना द्वारा युद्ध विजय की याद में बनाया गया है और पास में ही भारत का राष्ट्रीय ध्वज शान से लहराता हुआ देखने को मिलेगा और दाईं दिशा में मां तनोट राय मंदिर इतिहास का शिलालेख है। जब हम आगे की तरफ जाते हैं तब हमें माता श्री तनोट राय के मंदिर के दर्शन होते हैं मंदिर में प्रवेश करने से पहले हमें बायी दिशा में भगवान बालाजी के दर्शन होते हैं और जब हम मंदिर में प्रवेश करते हैं तब हमें सामने ही मातेश्वरी तनोट राय की मनमोहक प्रतिमा के दर्शन होते हैं। और पास में ही भगवान शिव जी का मंदिर है। तनोट माता के इस मंदिर में सुबह शाम सेवा पूजा भारतीय सेना के जवान ही करते हैं। तनोट माता के मंदिर में दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। तनोट माता का यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। यहां पर कोई भी भारतीय सेना का जवान अपनी ड्यूटी पर आता है तो सबसे पहले वह माता श्री तनोट राय के दर्शन करने जरूर आते हैं और बाद में अपनी ड्यूटी ज्वाइन करते हैं। भारतीय सेना और आम भक्तों की आस्था का केंद्र है यह मंदिर।

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तनोट माता मंदिर में रुमाल बांधने की परंपरा-tanot Mata Mandir mein rumal bandhne ki parampara

तनोट माता के मुख्य मंदिर परिसर में ही मंशापूर्ण माताजी का मंदिर है। लोग यहां पर आने के बाद मंशापूर्ण माता जी से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना करते हैं और एक रुमाल बांधते हैं रुमाल पर अपना नाम लिखकर बांधते हैं जब उस भक्त की मनोकामना पूरी होने के बाद वह अपने रुमाल को पहचान कर खोलते हैं और अपने मन की इच्छा के अनुसार मंदिर में चढ़ावा करते हैं।

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तनोट माता मंदिर में आरती-tanot mata mandir main aarti

तनोट माता मंदिर में दिन में दो बार आरती होती है यह आरती भारतीय सेना के जवानों द्वारा की जाती है सुबह और शाम की आरती में श्रद्धालु बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं सवा घंटे लगातार चलने वाली यह आरती देखने लायक हैं इस आरती का समय सुबह 6:00 बजे और शाम 7:00 बजे रहता है। दोस्तों आप भी कभी मातेश्वरी तनोट राय के दर्शन करने आते हैं तो मंदिर में होने वाली दोनों आरती में भाग जरूर लें। 

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तनोट माता मंदिर संग्रहालय-Tanot Mata Temple Museum in hindi

मातेश्वरी तनोट राय के मंदिर परिसर में संग्रहालय हैं जिसमें पाकिस्तान द्वारा फेंके गए गोले बारूद रखे गए हैं जो फटे नहीं थे और 1965 और 1971 युद्ध के दौरान लिए गए फोटो है जो आज भी हमे गौरव महसूस कराता है और भी यहां पर आप 1965 और 1971 युद्ध की प्रदर्शनी देख सकते हैं।

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तनोट माता मंदिर के दर्शन का समय-Tanot mata temple darshan timings in hindi

तनोट माता का मंदिर सुबह 5:00 बजे आम श्रद्धालुओं के लिए खुलता है और शाम 8:00 बजे पूजा आरती होने के बाद बंद हो जाता है।

तनोट माता मंदिर में प्रवेश शुल्क-tanot mata temple entry fees in hindi

तनोट माता मंदिर भक्तों के लिए हमेशा खुला रहता है। तनोट माता मंदिर में कोई भी किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।

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तनोट माता मंदिर जैसलमेर कैसे पहुंचे-How to reach Tanot Mata Temple Jaisalmer in hindi

दोस्तों आप तनोट माता मंदिर में दर्शन करने जाना चाहते हैं तो बता दें कि तनोट जाने के लिए हमें सबसे पहले राजस्थान के जैसलमेर शहर पहुंचना होता है। जैसलमेर शहर भारत के विभिन्न शहरों से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर तक आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। जैसलमेर पहुंचने के बाद आपको यहां तनोट माता मंदिर के लिए लगभग 120 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है यह दूरी आपको बस या कार द्वारा तय करनी होती है।

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सड़क मार्ग से तनोट माता मंदिर कैसे पहुंचे-How to reach tanot mata temple by Road in hindi

दोस्तों आप भारत के किसी भी राज्य से हो और तनोट माता के दर्शन करने के लिए सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं तो बता दें कि आपको सड़क मार्ग से सबसे पहले राजस्थान के जैसलमेर शहर पहुंचना होगा। जैसलमेर शहर भारत के प्रमुख सड़क मार्गो से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर में गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, जयपुर और भी कई बड़े शहरों से प्रतिदिन बस सेवा चालू है जैसलमेर पहुंचने के बाद आप यहां से सरकारी बस द्वारा तनोट माता मंदिर आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर आप अपना खुद का वाहन लेकर आना चाहते हैं तो भी कोई समस्या नहीं आने वाली जैसलमेर शहर से तनोट माता मंदिर की दूरी 120 किलोमीटर है।

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तनोट माता मंदिर रेल द्वारा कैसे पहुंचे-How to reach tanot mata temple by Train in hindi

अगर आप तनोट माता मंदिर की यात्रा रेल द्वारा करना चाहते हैं तो बता दें कि तनोट माता मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन जैसलमेर है। जैसलमेर रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख रेलवे मार्गो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर में दिल्ली, गुजरात, जयपुर और जोधपुर इन शहरों से प्रतिदिन रेल सेवा चालू रहती है। जैसलमेर शहर पहुंचने के बाद आप यहां से बस या कार द्वारा आसानी से तनोट माता मंदिर पहुंच सकते हैं।

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हवाई जहाज द्वारा तनोट माता मंदिर कैसे पहुंचे-How to reach tanot mata temple by airplane in hindi

यदि आप तनोट माता मंदिर की यात्रा हवाई जहाज से करना चाहते हैं तो बता दें कि तनोट माता मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा जैसलमेर। जैसलमेर का हवाई अड्डा भारत का घरेलू हवाई अड्डा है यह हवाई अड्डा मुंबई, अहमदाबाद, जोधपुर, बेंगलुरु और जयपुर जैसे शहरों से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर हवाई अड्डे के बाहर आपको तनोट माता मंदिर के लिए बस या टैक्सी आसानी से मिल जाएगी। दोस्तों तनोट माता मंदिर जैसलमेर का दूसरा नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर में है। जोधपुर का हवाई अड्डा भारत का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है अगर आप विदेश या फिर भारत के कोई बड़े शहर से आ रहे हैं तो आपके लिए जोधपुर हवाई अड्डा सही रहेगा। जोधपुर से आप किसी भी रास्ते से आसानी से जैसलमेर पहुंच सकते हैं जोधपुर से जैसलमेर की दूरी 281 किलोमीटर है।

तनोट माता मंदिर दर्शन के बाद रात्रि विश्राम कहां करें-Where to take night rest after darshan of tanot mata temple in hindi

दोस्तों जब हम तनोट माता जी के दर्शन करने के बाद ठहरना चाहते हैं तो बता दें कि आपको यहां तनोट माता मंदिर ट्रस्ट की ओर से संपूर्ण व्यवस्था मिलेगी यहां पर आपको रात में ठहरने के लिए रूम और बिस्तर की व्यवस्था हर समय मिलेगी।

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तनोट माता मंदिर जैसलमेर के आसपास होटल-hotels near tanot mata temple jaisalmer

Best hotels in Jaisalmer: दोस्तों तनोट माता मंदिर के आसपास आपको कोई भी बड़ी होटल नहीं मिलेगी यहां पर कैंटीन सेवा उपलब्ध है जिसमें आपको चाय, नाश्ता और भोजन की व्यवस्था हर समय मिल जाएगी। और यहां पर कुछ भोजनालय भी है जहां आप को भोजन की व्यवस्था मिल जाएगी अगर आपको बड़ी होटल की तलाश रहती है तो बता दें कि तनोट माता मंदिर से लगभग 53 किलोमीटर दूर रामगढ़ गांव में आपको होटल मिल जाएगी और दूसरा विकल्प तनोट माता मंदिर से 120 किलोमीटर दूर जैसलमेर शहर है जैसलमेर शहर में आपको कई बड़े होटल मिल जाएंगे जहां आप भोजन चाय नाश्ता और रात्रि विश्राम कर सकते हैं।

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तनोट माता मंदिर की यात्रा के समय किन बातों का ध्यान रखें-things to keep in mind while visiting tanot mata temple in hindi

Tanotrai mandir jaisalmer:दोस्तों जब भी हम यात्रा पर निकलते हैं तो कुछ बातों का हमें ध्यान रखना चाहिए। जब भी आप तनोट माता मंदिर की यात्रा पर आते हैं तो बता दें कि यह एक रेगिस्तान का इलाका है यहां पर गर्मियों के दिनों में अधिक गर्मी पड़ती है इसलिए आप अपने साथ पानी जरूर रखें। और सर्दियों में या सर्दी भी जबरदस्त पड़ती है। और यह क्षेत्र देश की सीमा के पास होने के कारण यहां पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या का सामना भी करना पड़ता है।

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तनोट माता मंदिर के आसपास घूमने लायक स्थान-places to visit near tanot mata temple in hindi

दोस्तों आप अगर तनोट माता मंदिर की यात्रा पर आए हो और यहां पर घूमना चाहते हो तो बता दें कि आपको यहां जैसलमेर क्षेत्र में कई जगहें हैं जहां आप घुम सकतें हैं।
लोंगेवाला युद्ध स्थल 
घंटियाली माता मंदिर 
सम थार का रेगिस्तान 
कुलधरा गांव 
जैसलमेर का किला 
गड़ीसर झील 
पटवों की हवेली 
बड़ा बाग 
यह सभी दर्शनीय स्थान तनोट माता मंदिर के आसपास ही है जो आप आसानी से घुम सकते हैं।

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