kedarnath yatra in hindi दोस्तो आप भी भगवान शिव जी के दर्शन करने केदारनाथ धाम की यात्रा करना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरुर पढ़े। इस लेख में आप केदारनाथ धाम की यात्रा के बारे मे महत्वपूर्ण जानकारियां पढ़ सकते हैं। जैसे केदारनाथ की यात्रा कैसे करें, केदारनाथ धाम का इतिहास
केदारनाथ धाम का इतिहास – kedarnath dham history in hindi
kedarnath yatra केदारनाथ मंदिर का इतिहास महाभारत की पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। पौराणिक इतिहास के अनुसार ऐसा माना जाता है कि महाभारत के समय पांडवों ने भगवान शिव जी के इस पवित्र मंदिर की नींव रखकर निर्माण किया था फिर 8वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने केदारनाथ धाम का दोबारा निर्माण कार्य करवाया गया था। केदारनाथ मंदिर का इतिहास और कहानी बहुत दिलचस्प है। पौराणिक इतिहास के अनुसार कहा जाता है कि महाभारत के समय पांडवों ने कुरुक्षेत्र की लड़ाई में अपने चचेरे भाइयों कौरवों को मारने के बाद अपने आप को दोषी महसूस किया था। पांडव इस पाप से मुक्त होना चाहते थे इस लिए पांडव भगवान श्री कृष्ण की सलाह पर भगवान शिव जी से माफ़ी मांगने के लिए गये थे भगवान शिव जी पांडवों को आसानी से माफ़ नहीं करना चाहते थे भगवान शिव जी पांडवों से नाराज थे पांडव सबसे पहले भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए काशी गए जहां जाने के बाद पांडवों को पता चला कि शिव जी हिमालय में हैं। इसके बाद पांडव हिमालय के लिए भी आगे बढ़े लेकिन शिव उन्हें पापों से आसानी से मुक्त नहीं करना चाहते थे। इसलिए भगवान शिव जी ने अपना रूप परिवर्तित कर भैंस के रूप में बदल दिया और गुप्तकाशी चले गए। और पहाड़ों में छिपे हुए मवेशियों के बीच खुद छिप गये। इसके बाद पांडव गुप्तकाशी भी पहुँचे वहा पर पांडवों में से भीम ने भगवान शिव जी को भैंस के रूप में पहचान लिया और भैंस की पूंछ पकड़ ली और भैंस 5 अलग-अलग दिशाओं में बिखर गई। कहा जाता हैं की कूब केदारनाथ में गिरा था और इसके बाद केदारनाथ मंदिर का जन्म हुआ। इसके साथ ही भैंस के शरीर के दूसरे हिस्से तुंगनाथ, रुद्रनाथ, कल्पेश्वर और मध्यमहेश्वर जैसे स्थानों पर गिरे थे। केदारनाथ के साथ इन चार स्थानों को ‘पंच केदार’ के नाम से जाना जाता है। इसके बाद भगवान शिव जी ने पांडवों को पापों से मुक्त कर दिया और ज्योतिर्लिंग के रूप में केदारनाथ में निवास करने का फैसला किया।
kedarnath yatra hindi केदारनाथ के बारे में एक और कथा जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी सच्ची अराधना देखकर भगवान शिव जी प्रकट हुए नर और नारायण जी ने शिव जी से मानवता के कल्याण के लिए उन्हें मूल रूप में वहाँ रहने के लिए प्रार्थना की उनकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए भगवान शिव जी उस स्थान पर रहने के लिए सहमत हो गए, जो अब केदारनाथ धाम नाम से जाना जाता है
केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला – Kedarnath Temple Architecture kedarnath dham yatra in hindi
kedarnath yatra उत्तराखण्ड के चार धामों में केदारनाथ सबसे महत्त्वपूर्ण धाम है। मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित इस धाम को विशाल पत्थरों को तराशकर बनाया गया ये मंदिर असलार शैली में बना हुआ है जिसमें पत्थर स्लैब या सीमेंट के बिना ही एकदूसरे में इंटरलॉक्ड हैं केदारनाथ मंदिर स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। हिमालय की खूबसूरत वादियों में एक चीड़े पत्थर पर बने इस खूबसूरत मंदिर की गिनती देश के प्रमुख मंदिरों में होती है। प्रकृति ने भी इस मंदिर की सुषमा में चार चांद लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हिमालय की खूबसूरत वादियों में भगवान शिव जी के इस केदारनाथ धाम में देश और विदेश से भक्त दर्शन करने आते हैं।
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केदारनाथ मंदिर के कपाट कब खोले जाते हैं और कब बंद किए जाते हैं – Kedarnath temple open in 2023 kedarnath dham yatra in hindi
kedarnath temple timings दोस्तों भगवान श्री शिव जी का केदारनाथ धाम के साल में 6 माह तक कपाट बंद रहते हैं और 6 माह कपाट खुले रहते हैं। केदारनाथ धाम के कपाट हर वर्ष दीपावली के दूसरे दिन भाई दूज के दिन विधि विधान से बंद किए जाते हैं और हर वर्ष महाशिवरात्रि के दिन विधि विधान से केदारनाथ मंदिर के कपाट को दर्शन के लिए खोला जाता है। इस साल 2022 में केदारनाथ मंदिर के कपाट 27 अक्टूबर भैया दूज के दिन बंद किए गए हैं। अगले छह माह तक बाबा केदार की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में की जाती है। और 2022 में महाशिवरात्रि के दिन कपाट खोल दिए जाएंगे।
2013 में केदारनाथ धाम में आई बाढ़ – Kedarnath Dham badh 2013 kedarnath dham yatra in hindi
kedarnath tour दोस्तों हम सभी को पता है कि सन 2013 में भारत के उत्तराखंड राज्य में बहुत ही भयानक बाढ़ आई थी 16 जून 2013 को शाम लगभग 7:30 बजे केदारनाथ मंदिर के पास बहुत तेज गडगडाहट की आवाज के साथ भूस्खलन शुरू हुआ इस भयंकर गर्जना के बाद मंदकिनी नदी के नीचे चोराबरी ताल या गाँधी ताल में लगभग 8:30 बजे से भारी मात्रा में पानी गिरना शुरू हो गया था 17 जून 2013 को सुबह के समय 6:40 पर सरस्वती नदी और चोरबारी ताल या गाँधी ताल का बहाव बहुत तेजी से बढ़ने लगा था जिससे इसके बहाव में पानी के साथ बड़ी मात्रा में चट्टान व पत्थर टूटकर बहने लगे जहाँ एक तरफ बाढ़ के पानी के सामने जो भी आया वह उसे अपने साथ बहा ले जा रहा था वहीं दूसरी तरफ केदारनाथ मंदिर के पीछे एक बड़ा सा पत्थर आकर फंस गया था। उस भयंकर बाढ़ से उस पत्थर ने मंदिर की रक्षा की और बाढ़ के पानी के साथ बहने वाला पूरा मलबा मंदिर के दोनों ओर से बहता रहा पर मंदिर को कुछ नहीं हुआ लोगों को तब भी बहुत डर था कि बहता हुआ पानी एवं मलबा मंदिर को भी साथ में बहा ले जायेगा किन्तु ऐसा नहीं हुआ उत्तराखंड में आई इस बाढ़ में आसपास के अधिकतर क्षेत्र स्थानीय लोग और दुकाने व होटल एवं तीर्थ यात्रियों की बड़ी संख्या में नुकसान हुआ उस समय मानो मौत का सैलाब आया हुआ था। इन सब के बावजूद मंदिर के पीछे फंसे हुए पत्थर ने मंदिर को कुछ नहीं होने दिया और लोगों ने मंदिर के अंदर कई घंटों तक आश्रय लिया और बाद में भारतीय सेना ने उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था।
केदारनाथ मंदिर में होने वाली पूजा आरती – Kedarnath Mandir mein hone wali Puja Aarti
kedarnath yatra time दोस्तों आप भी कभी भगवान श्री शिव जी का केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाते हैं तो याद रखें कि केदारनाथ मंदिर रात 8:30 बजे बंद हो जाता है। केदारनाथ मंदिर में आरती मंत्र कन्नड़ भाषा में बोले जाते हैं। पूजा में महाभिषेक, रूद्राभिषेक, लघु रूद्राभिषेक और शोदाशोपचार पूजा, शिव सहश्रमणम पथ, शिव महिमा स्त्रोतपथ और शाम के समय शिव तांडव स्त्रोत मार्ग की परंपरा निभाई जाती है। शाम को महाभिषेक पूजा शाम 4 से 7 बजे के बीच की जाती है। केदारनाथ मंदिर में सुबह और शाम विभिन्न प्रकार की पूजा होती है, जो पूरे दिन की जाती है। भक्तों को एक विशेष पूजा में भाग लेने के लिए एक विशिष्ट राशि का भुगतान करना पड़ता है। सुबह की पूजा 4:00 बजे से शुरू होती है और 7:00 बजे तक चलती है।
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केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय – kedarnath temple timings
kedarnath tour दोस्तों आप भी कभी केदारनाथ धाम यात्रा पर जाते हैं और केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने के समय के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि केदारनाथ के मंदिर के द्वार सुबह 6 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं। और दोपहर 3:00 से 5:00 तक विशेष पूजा होती है। जिसके बाद मंदिर बंद हो जाता है। शाम 5:00 बजे फिर मंदिर दर्शन के लिए खोल दिया जाता है इसके थोड़ी देर बाद भगवान शिव का श्रृंगार होता है, जिस दौरान कपाट थोड़ी देर के लिए बंद कर दिए जाते हैं। फिर 7:30 से 8:30 तक आरती होती है। और बाद में कपाट बंद कर दिए जाते हैं और फिर अगली सुबह खोले जाते हैं।
केदारनाथ मंदिर के आसपास घूमने लायक जगह – kedarnath temple near tourist places
top tourist places in kedarnath दोस्तों आप भी कभी केदारनाथ उत्तराखंड की यात्रा पर जाते हैं और भगवान शिव जी के दर्शन के बाद आप भी यहां पर और भी जगह पर जाना चाहते हैं तो बता दें कि केदारनाथ धाम के आसपास कई धार्मिक तीर्थ स्थल है जहां पर आप दर्शन करने जा सकते हैं तो आइए हम जानते हैं इन स्थानों के बारे में।
चोखाड़ी ताल – chokhadi taal kedarnath dham yatra in hindi
Kedarnath mandir in hindi केदारनाथ मंदिर से 4 कि.मी. की दूरी पर प्राकृतिक रूप से बना यह बर्फीला सरोवर दर्शनीय है। यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अस्थि, भस्मि प्रवाहित की गई थी, इसलिए चोखाड़ी ताल को गांधी ताल भी कहते हैं। दोस्तों आप भी केदारनाथ धाम यात्रा पर जाते है तो यहां पर जरूर जाए।
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वासुकी ताल – Vasuki taal kedarnath dham yatra in hindi
Kedarnath temple ‘वासुकी ताल’ चौखंबा पर्वत श्रृंखला से घिरी एक बहुत ही खूबसूरत झील है। केदारनाथ से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस झील तक पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। यहां पहुंचने से पहले आपको अपने साथ खाने-पीने और ठहरने का सामान (तंबू आदि) अपने साथ अवश्य रख लेना चाहिए। बरसात के दिनों में यहां जाने के लिए मनाही रहती है। दोस्तों आप भी केदारनाथ की यात्रा के दौरान इस चौखंबा पर्वत का भरपूर आनदं ले सकते हैं।
शंकराचार्य समाधि – Shankaracharya samadhi kedarnath dham yatra in hindi
Kedarnath temple yatra 2023 कहते हैं 8वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने केदारनाथ धाम में आकर मंदिर के दर्शन किए थे व 32 वर्ष की उम्र में यहां समाधि ली थी। यह समाधि दर्शनीय है। इसलिए यहां जाने वाले श्रद्धालु उनकी समाधि पर जरूर जाते हैं।
गौरीकुंड – Gorikund kedarnath dham yatra in hindi
kedarnath badrinath yatra 2023 गौरीकुंड केदारानाथ धाम के पास एक छोटा सा गांव है बताया जाता है कि ये वही जगह है जहां भगवान शिव को पाने के लिए देवी पार्वती ने घोर तपस्या की थी। यहां पर गौरीकुंड यह स्थान गर्म पानी के स्रोतों के कारण प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस पानी को पीने से कई बीमारियां दूर हो जाती है। यहां मां पार्वती का भव्य मंदिर दर्शनीय है। दोस्तों आप भी उत्तराखंड में केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान गौरीकुंड जरूर जाए।
गुप्तकाशी – guptkashi kedarnath dham yatra in hindi
Kedarnath Dham in hindi केदारनाथ धाम से 50 कि.मी. पीछे सुरम्य उपनगर है। गुप्तकाशी में प्राचीन शिव-पार्वती मंदिर दर्शनीय है। यहां से चौखंभा शिखर के भव्य दर्शन होते हैं। यहां से एक मार्ग प्रसिद्ध सिद्धपीठ कालीमठ के लिए जाता है। यहां नगर में रहने, खाने की पर्याप्त सुविधाएं हैं।
पंचकेदार – panch Kedar kedarnath dham yatra in hindi
Kedarnath yatra केदारनाथ धाम क्षेत्र के अंतर्गत 5 विशिष्ट स्थल (जिनमें केदारनाथ एक है आज दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सौंदर्य स्थल में गिने जाते हैं। दुर्गम सफर के कारण भले ही पर्यटक सीमित संख्या में यहां आते हैं पर जो भी इस स्वर्गिक क्षेत्र में आता है वह अनमोल जादुई सौंदर्य को देखकर ठगा-सा रह जाता है। बंगाली पर्यटकों में तो पंचकेदार घूमने का रहता है। विदेशी पर्यटक भी यहां आना बहुत पसंद करते हैं। आप भी पंचकेदार घूमने जरूर जाए।
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ऊखी मठ – ukhimath kedarnath dham yatra in hindi
Kedarnath temple uttrakhand केदारनाथ धाम से 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थल बेहद शांत व रमणीक है। जब केदारनाथ मंदिर दर्शकों के लिए बंद कर दिया जाता है, तब उसकी पवित्र मूर्ति को ऊखी मठ की गद्दी में प्रतिष्ठित कर दिया जाता है। यहां खाने-पीने व ठहरने की उत्तम व्यवस्था है।
देवरिया ताल – devriya taal kedarnath dham yatra in hindi
Kedarnath temple history in hindi देवरिया ताल केदारनाथ धाम से 68 किलोमीटर दूर है। यहां से बर्फ से ढकी गगनचुम्बी चोटियों का अद्भुत नजारा दर्शको को मुग्ध कर देता है। दोस्तों आप भी अपनी केदारनाथ यात्रा के दौरान देवरिया ताल जरूर जाए।
केदारनाथ मंदिर की यात्रा करने का सही समय – Best time to visit kedarnath temple in hindi
Kedarnath temple history दोस्तों आप भी केदारनाथ धाम उत्तराखंड की यात्रा पर जाना चाहते हैं और यात्रा के सही समय के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि केदारनाथ मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा और सही समय मई से जून और सितंबर से अक्टूबर का समय सबसे अच्छा है। सर्दियों में नवंबर से अप्रैल तक भारी वर्षा के साथ शून्य से नीचे तापमान पहुंच जाता है। दोस्तों सर्दियों में यहां पर थोड़ी कठिनाई का सामना जरूर करना पड़ता है
केदारनाथ धाम की यात्रा कैसे करें – How to visit kedarnath dham in hindi
Kedarnath mandir दोस्तो आप केदारनाथ धाम उत्तराखंड की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि उत्तराखंड देश के सभी राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप देश के किसी भी हिस्से से सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग से उत्तराखंड के किसी भी शहर में आसानी से पहुंच सकते हैं। और उत्तराखंड पहुंचने के बाद आपको केदारनाथ धाम के लिए यहां पर हर सुविधा मिल जाएगी।
केदारनाथ मंदिर जाने का रास्ता – Way to Kedarnath temple in hindi
Kedarnath temple history in hindi दोस्तों आप कभी भी केदारनाथ धाम उत्तराखंड की यात्रा पर जाते हैं तो बता दें कि केदारनाथ धाम से पहले गौरीकुंड से आपको केदारनाथ के लिए जाना होता है गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। यहां पर खड़े रास्तों पर चढ़ने के लिए घोड़े या टट्टू की व्यवस्था यहां पर उपलब्ध हैं
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सड़क मार्ग से केदारनाथ धाम कैसे पहुंचे – How to reach Kedarnath dham by road in hindi
Kedarnath temple trip दोस्तों आप सड़क मार्ग से केदारनाथ धाम की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि राष्ट्रीय राजमार्ग 109 रुद्रप्रयाग और केदारनाथ को जोड़ता है। गौरीकुंड आसपास के सभी शहरों जैसे ऋषिकेश, उत्तरकाशी, चमोली, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी आदि से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए हरिद्वार से गौरी कुंड तक की लगभग 250 किलोमीटर की यात्रा बस द्वारा तय की जाती है। फिर गौरी कुंड से केदारनाथ तक की 14 किलोमीटर की यात्रा पैदल तय करनी पड़ती है।
रेल द्वारा केदारनाथ धाम कैसे पहुंचे – How to reach Kedarnath Dham by Train
Kedarnath temple tour दोस्तों आप केदारनाथ धाम की यात्रा रेल द्वारा करना चाहते हैं तो बता दें कि केदारनाथ का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। जो केदारनाथ धाम से 216 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। ऋषिकेश से आप बस या टैक्सी द्वारा गौरीकुंड तक पहुंच सकते हैं और गौरीकुंड से आप केदारनाथ धाम आसानी से पहुंच सकते हैं।
हवाई जहाज से केदारनाथ धाम कैसे पहुंचे – How to reach Kedarnath Dham by Airplane
Kedarnath temple tour packages दोस्तों आप केदारनाथ धाम उत्तराखंड की यात्रा हवाई जहाज से करना चाहते हैं तो बता दें कि केदारनाथ का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। केदारनाथ धाम से जौलीग्रांट हवाई अड्डा की दूरी लगभग 239 किलोमीटर है। जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर उतरने के बाद आप हरिद्वार या ऋषिकेश से गौरीकुंड के लिए टैक्सी या बस पर ले सकते हैं। दोस्तों गौरीकुंड पहुंचने के बाद आप केदारनाथ धाम आसानी से पहुंच सकते हैं।